पुरे विश्व में भारत ही एक ऐसा एकलौता देश है जहाँ पर विभिन्न धर्म, जाती, समुदाय के लोग इकठ्ठा एक साथ खुशी खुशी अपना जीवन गुजर बसर करते है। एक साथ सामाजिक एकता के साथ रहने में हमारे पर्वो का बहुत ही अधिक योगदान है। सभी धर्मो के लोग साथ मिलकर सभी पर्व, त्योहारो को बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ मनाते है।
जैसा कि आप लोग जानते हैं कि प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को भारत में मकर क्रांति का त्यौहार हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग गंगा स्नान कर अपने घरों में विधि विधान से पूजा पाठ करते है और प्रसाद हेतु सभी लोगो चूड़ा, तिलकुट, दही, का सेवन करते है।
और बच्चो का क्या ही कहना इस दिन गाँव, शहरों में सभी बच्चों अपने दोस्तों के साथ खूब पतंग उड़ाते है। आपने भी अपने बचपन में मकर सक्रांति के दिन खूब पतंगबाजी की होगी। ऐसे में बहुत सारे लोगों के मन में सवाल आता है कि मकर संक्रांति क्या है? मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है अगर आप इसके बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं तो आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।
मकर संक्रांति क्या है? (Makar Sankranti in Hindi)
मकर संक्रांति हिंदुओं का एक बहुत ही पवित्र त्यौहार है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति त्योहार का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है इसके अलावा गोकुल शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की स्थिति में पहुंचता है तब मकर संक्रांति जैसी घटना घटित होती है और उसी समय इस त्यौहार को मनाया जाता है।
इस पर्व के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर कोई भी पुत्र अपने पिता से मिलने के लिए जाएगा तो उनके बीच के आपसी मतभेद दूर हो जाएंगे। क्योंकि मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने के लिए जाते हैं और उनके बीच के जो भी आपसी मतभेद थे वह इसी दिन दूर हुए थे।
मकर संक्रांति 2023 में कब है? (Makar Sankranti 2023)
साल 2023 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को और कई जगहों पर 15 जनवरी को हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ भारत के विभिन्न राज्यों में मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति से जुड़ा हुआ पौराणिक कथा
मकर संक्रांति मनाने के पीछे की पौराणिक कथा काफी इतिहासिक और पुरानी है ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने के लिए जाते हैं जिसके कारण शनिदेव और भगवान सूर्य देव के बीच में जो भी मतभेद थे वो सभी इसी दिन समाप्त हुए थे। जिसके कारण मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है।
इसके अलावा एक और भी कथा इससे जुड़ी हुई ऐसा कहा जाता है कि जब महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह पूरी तरह से घायल अवस्था में सैया पर लेटे हुए थे, और वरदान प्राप्त था कि उनकी मृत्यु उनकी स्वयं की इच्छा से होगी ऐसा माना जाता है कि उनको मोक्ष की प्राप्ति उत्तरायण के दिन ही हुई थी जिसकी वजह से मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है।
मकर संक्रांति पूजा विधि
मकर संक्रांति की पूजा विधि विधान से करनी पड़ती है तभी जाकर आपको इसका लाभ प्राप्त होगा ऐसे में मकर संक्रांति की पूजा विधि का विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं जो इस प्रकार है।
- सबसे पहले पुण्य काल मुहूर्त महा पुण्य काल मुहूर्त निकालेंगे और अपने पूजा स्थान को साफ और शुद्ध कर लेंगे।
- इसके बाद आपको थाली में चार काली और चार सफेद तिल के लड्डू रखे रख लेंगे और साथ में कुछ पैसे भी आप रखेंगे।
- आपको थाली में चावल, आटा, हल्दी का मिश्रण, सुपारी पान के पत्ते, शुद्ध, जल, फूल और अगरबत्ती रख लें।
- जैसा की आप लोगों को मालूम है कि मकर संक्रांति का त्यौहार भगवान सूर्य को अर्पित है इसलिए भगवान सूर्य देव के प्रसाद के लिए आपको एक प्लेट में काली तीली और सफेद तीली के लड्डू, कुछ पैसे और मिठाई रख कर भगवान सूर्य को अर्पित किया जाएगा।
- उसके बाद आप भगवान सूर्य की आरती करेंगे।
- पूजा के दौरान महिलाएं अपने सिर को कपड़े से ढक कर रखती है।
- सूर्य देव से संबंधित मंत्र मंत्र ‘ॐ हरं ह्रीं ह्रौं सह सूर्याय नमः’ का कम से कम 21 या 108 बार मंत्रों का उच्चारण करना है।
- मकर संक्रांति के दिन कुछ लोग 12 मुखी रुद्राक्ष पहनते हैं क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अगर आप रुद्राक्ष पहनते हैं तो आपके ऊपर भगवान महादेव की कृपा असीम बनी रहेगी।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त 2023
मक्कर संक्रांति के प्रत्येक साल 14 जनवरी या 15 जनवरी को मनाया जाता है वर्ष 2023 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा। निचे इसका शुभ मुर्हुत बताया गया है।
- पुण्य काल के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 02:43 बजे से 05:45 बजे के बीच है।
- महा पूण्य काल के शुभ मुहूर्त दोपहर 02:43 बजे से 04:28 बजे के बीच है।
मकर संक्रांति पूजा से होने वाले लाभ
मकर संक्रांति पूजा करने से आपको निम्नलिखित प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे।
- मकर संक्रांति के दिन विधि विधान से पूजा करने से आपके घर में जो भी व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा है उसका समाप्ति करण हो जाता है।
- मकर संक्रांति त्योहार मनाने से आपके अंदर आध्यात्मिक भावना और भी ज्यादा विकसित होगी।
- घर का वातावरण खुशहाल और शांतिप्रिय बनेगा।
- अपने घरो में अपने लोगो के बिच जो भी मतभेद है वो सभी समाप्त हो जाता है ।
मकर संक्रान्ति का महत्व क्या है?
शास्त्रों के मुताबिक दक्षिणायन देवताओं की रात्रि का समय होता है और इसे नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है जबकि उत्तरायण देवताओं के दिन का प्रतीक होता है और उसे सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है यही वजह है कि जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण के तरफ प्रवेश करता है तो उस समय का मुहूर्त काफी शुभ हो जाता है।
इसलिए ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई भी व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि करेगा तो उसके जीवन के सभी कार्य पूर्ण होंगे इसके अलावा ऐसा कहा जाता है कि अगर आप इस दिन गंगा में स्नान करते हैं तो आपके सारे पाप धुल जाएंगे।
सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश दृष्टिकोण से काफी लाभदायक होता है क्योंकि मकर संक्रांति के पहले सूर्य की स्थिति दक्षिणी गोलार्ध में में होती है जिसके कारण भारत में राते बड़ी और दिन छोटे होते हैं लेकिन मकर संक्रांति के बाद सूर्य उतरी उत्तरी गोलार्ध में पहुंच जाता है जिसके कारण दिन छोटे और रात बड़ी होती है।
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मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है? (Makar Sankranti Kyu Manaya Jata Hai)
मकर संक्रांति का पर्व प्रतिवर्ष पोस्ट मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है इस दिन सूर्य दक्षिणायन से निकलकर उत्तरायण में प्रवेश करता है और उत्तरायण की समय अवधि देवी देवताओं की अवधि मानी जाती है इसलिए इस अवधि में जो भी कार्य करेंगे उसमें आपको सफलता प्राप्त होगी।
और आपके सभी कार्य सफल होंगे यही वजह है कि इस काल में शादी विवाह मुंडन गृह प्रवेश जनेऊ और नामकरण जैसी चीजें करना शुभ होता है। मकर संक्रांति के विषय में पौराणिक कथा भी प्रचलित है इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने के लिए आते हैं।
और इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है जिसके कारण ही मकर संक्रांति की घटना घटित होती है इसके अलावा इस विषय में और भी एक कहानी प्रचलित है जिसके मुताबिक भगवान विष्णु ने इस दिन पृथ्वी पर राक्षसों का संघार किया था उसके लिए भी मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है।
मकर संक्रांति पर्व मनाने के वैज्ञानिक कारण
मकर संक्रांति के मनाने के वैज्ञानिक कारण भी है ऐसा कहा जाता है कि मकर संक्रांति के लिए नदियों में वाष्पन क्रिया शुरू होती है इस दिन नदी में स्नान करने से अनेक प्रकार के रोग आपके दूर हो जाएंगे यही वजह है कि मकर संक्रांति में गंगा में स्नान करना शुभ संकेत माना जाता है।
जैसा की आप लोगों को मालूम है कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाना काफी शुभ होता है क्योंकि खिचड़ी खाने से आपके पाचन क्रिया मजबूत होती है और साथ में खिचड़ी में अगर आप हरी सब्जियां मिलाकर खाएंगे तो आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होगी।
मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए?
- मकर संक्रांति गंगा में स्नान करना काफी शुभ माना जाता है
- सूरज देव के उगने के बाद खिचड़ी और तेल से बनी मिठाइयों को सबसे पहले भगवान सूर्य को प्रसाद के रूप में अर्पित करें इसके बाद ही दान दक्षिणा की प्रक्रिया शुरू करें
- स्नान करते समय है पानी में तिल और गंगाजल डाले और ओम सूर्याय नमः मन्त्र का जप करे.
- देशी घी, वस्त्र, खिचड़ी, गुड़, कंबल, तिल और तेल का दान दक्षिणा करना शुभ माना जाता है
- कई हिस्सों में पतंग भी उड़ाई जाती है और साथ में तिल के लड्डू और पकोड़ी खाई जाती है.
- किसानों के लिए मकर संक्रांति का दिन काफी महत्व होता है क्योंकि एक दिन फसलों की कटाई शुरू हो जाती है।
मकर संक्रान्ति के अलग-अलग नाम राज्यों के अनुसार
लोहड़ी :- पंजाब और हरियाणा में इसे लोहड़ी के रूप में 1 दिन पूर्व यानी 13 जनवरी को मनाया जाता है इस दिन अग्नि देव की पूजा की जाती है और साथ में तिल, गुड़, चावल और भुने हुए मक्के आग में आहुति के रूप में दिए जाते हैं लोगों की ऐसी धारणा है की ऐसा करने से आपके जीवन में जो भी समस्या है और दिक्कत है उसका विसर्जन हो जाता है और साथ ही पारम्परिक मक्के की रोटी और सरसों के साग का आनन्द भी उठाया जाता है।
खिचड़ी :- उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे खिचड़ी के रूप में मनाया जाता है इस दिन सभी लोग गंगा नदी में डुबकी लगाकर भगवान सूर्य देव की पूजा आराधना करते हैं इसके अलावा इलाहाबाद के प्रयाग में माघ मेला भी शुरू होता है जहां पर देश और दुनिया से लोग स्नान करने के लिए आते हैं उत्तर प्रदेश के हरिद्वार और गढ़ मुक्तेश्वर और बिहार में पटना जैसे कई जगहों पर भी गंगा स्नान करने आते है।
पोंगल त्यौहार :- भारत के तमिलनाडु में इसे पोंगल त्योहार के रूप में मनाया जाता है। जो की किसानों के फसल काटने वाले दिन की शुरुआत के तौर पर मनाया जाता है।
मकर संक्रमामा :- कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इसे मकर संक्रमामा के रूप में मनाया जाता है। आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के लोगों के लिए ये एक बहुत ही बड़ा त्योहार होता है. तेलुगू इसे ‘पेंडा पाँदुगा’ कहते है जिसका अर्थ बड़ा उत्सव।
उत्तरायण :- गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यहां पर सामूहिक पतंगबाजी का आयोजन भी किया जाता है जिसमें बच्चे, बड़े सभी लोग हर्षोल्लास के साथ सम्मिलित होकर इस त्योहार को काफी धूमधाम से मनाते हैं।
संक्रांति :- उड़ीसा में भी इसे संक्रांति के रूप में मनाया जाता है सभी लोग एक साथ नृत्य और भोजन करते है. उड़ीसा के भूया आदिवासियों अपने घर में बनाए गए सामानों को बिक्री मार्केट में करने के लिए जाते हैं।
शिशुर सेंक्रांत :- मकर सक्रांति को जम्मू कश्मीर में शिशुर सेक्रांत के नाम से मनाया जाता है।
सकरात :- मध्यप्रदेश में मकर संक्रांति के त्यौहार को सकरात नाम से जाना जाता है।
माघ बिहू :- असम सक्रांति को माघ बिहू के नाम से मनाया जाता है।
संक्रांति :- महाराष्ट्र में इसे संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन तिल और गुड़ के लड्डू बनाए जाते हैं और लोगों के बीच में आदान-प्रदान भी होता है जब लोग एक दूसरे से मिलते हैं तो टिल-गुल घ्या, गोड गोड बोला” बोलते है. इस दिन महाराष्ट्र की महिलाएं कुमकुम हल्दी नाम से मेहमानों को आमंत्रित करती है।
मकर संक्रांति को विदेशों में किस नाम से जाना जाता है?
- उलावर थिरुनाल के नाम श्रीलंका में इसे मनाया जाता है।
- म्यांमार में इसे थिन्ज्ञान नाम से मनाया जाता है।
- नेपाल में इसे माघे संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
- सोंग्क्रण नाम से थाईलैंड देश में जाया जाता है
- लाओस में मकर सक्रांति को पी मा लाओ के नाम से मनाया जाता है।
- कंबोडिया देश में इसे मोहा संग्क्रण के नाम से मनाया जाता है।
FAQs –
Q. मकर संक्रांति सन 2023 में कब है ?
Ans – वर्ष 2023 में मकर सक्रांति 14 जनवरी 2023 दिन शनिवार को है।
Q. मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या है?
Ans – मक्रांति सक्रांति को शुभ मुर्हुत दोपहर 02:43 बजे से शाम 05:45 बजे तक है।
Q. मकर संक्रांति के दिन क्या करते हैं?
Ans – मकर सक्रांति के दिन गंगा स्नान कर सूर्य देव की विधिवत पूजा अराधना कर प्रसाद के रूप में चूड़ा, दही, तिलकुट, का सेवन करते है और साथ ही इस दिन पतंग उडाने का विशेष महत्व है।
Q. मकर संक्रांति में किसकी पूजा की जाती है ?
Ans – मकर सक्रांति के दिन भगवान सूर्यदेव और शनि महाराज की पूजा की जाती है।
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