आज इस लेख में हम बात करेंगे मौलिक अधिकार (Fundamental Rights ) के बारे में, जैसे की आपलोग जानते ही है की भारतीय समाज बहुत ही तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है। अब सभी लोग संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के बार में पढ़, जान रहे है। खासकर गांव के लोग अब अपने मौलिक अधिकारों के बारे में जान रहे है।
ऐसे में इनलोगो के साथ कुछ भी गलत होता है। तो उसका पुरजोर विरोध करते है। पर अभी भी बहुत से ऐसे लोग है जो मौलिक अधिकारों के बारे में नहीं जानते है। तो चलिए विस्तार में जानते है की मौलिक अधिकार क्या है और ये कितने है (Fundamental Rights in Hindi) और ये कितने प्रकार के है। तो आइये जानते है।
मौलिक अधिकार क्या है? (Fundamental Rights in Hindi)
भारत के संविधान में वर्णित भारतीय नागरिको दिया गया कुछ वैसा अधिकार जो वास्तव में लोगो को जीवन जीने के लिए अति महत्वपूर्ण समझे जाते है। अतार्थ उसके बिना एक आम नागरिक अपनी जिंदगी में पूर्ण विकास नहीं कर सकता है। उसे मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) कहा जाता है।
मौलिक अधिकारों की चर्चा भारतीय संविधान के तीसरे भाग एवं अनुच्छेद 12 से 35 तक में किया गया है। भारतीय संविधान में वर्णित छह मौलिक अधिकारों को अमेरिका के संविधान से लिया गया है। शुरू में भारतीय संविधान के निर्माण के वक्त मौलिक अधिकारों की कुल संख्या सात हुआ करती थी।
पर 44वीं संविधान संशोधन 1978 के द्वारा मौलिक अधिकार में शामिल सम्पति के अधिकार को बदल कर क़ानूनी अधिकार कर दिया गया, जिससे इसकी संख्या घटकर छह हो गयी। एवं इसे अनुच्छेद 300 (a) में रखा गया है।
भारतीय नागरिको के मौलिक अधिकार (Fundamental Rights of Indian Citizen)
भारत के प्रत्येक नागरिक को उपलब्ध 6 मौलिक अधिकार कौन-कौन से हैं इसकी पूरी लिस्ट निचे दी गयी है।
क्रम.स. | मौलिक अधिकार | भारतीय संविधान के अनुच्छेद |
1. | समानता का अधिकार | अनुच्छेद (14 -18) |
2. | स्वतंत्रता का अधिकार | अनुच्छेद (19 – 22) |
3. | शोषण के विरुद्ध अधिकार | अनुच्छेद (23 & 24) |
4. | धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार | अनुच्छेद (25 – 28) |
5. | सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार | अनुच्छेद (29 & 30) |
6. | संवैधानिक उपचारों का अधिकार | अनुच्छेद 32 |
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समानता का अधिकार (Right To Equality)
- अनुच्छेद 14 :- विधि के समक्ष समानता, अतार्थ राज्य सभी नागरिको के लिए एक सामान कानून बनाएगा एवं इसे सामान रूप से सभी नागरिको पर लागु करेगा।
- अनुच्छेद 15 :- धर्म, जाती , लिंग, या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध, अतार्थ राज्य ये सुनिश्चित करे की भारत के किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाती , लिंग, या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जायेगा।
- अनुच्छेद 16 :- सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता, अतार्थ सार्वजनिक रोजगारों के मामले में राज्य के द्वारा निकाले गए रोजगार सभी नागरिकों को सामान रूप से उपलब्ध रहेंगे। अपवाद अनुसूचित जाती, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग.
- अनुच्छेद 17 :- अस्पृश्यता का अंत, इस अनुच्छेद के अन्तर्गत छुआछूत का अंत कर दिया गया है। एवं इसे दंडनीय अपराध घोषित किया गया है।
- अनुच्छेद 18 :- इस अनुच्छेद से सभी तरह के उपाधियों का अंत कर दिया गया है। सैन्य एवं शिक्षा क्षेत्र को छोड़कर।
स्वतंत्रता का अधिकार (Right To Freedom)
अनुच्छेद 19 :-
- बोलने की स्वतंत्रता (19a)
- बिना हथियारों के शांतिपूर्वक सभा करने की स्वतंत्रता (19b)
- यूनियन बनाने की स्वतंत्रता (19c)
- देश की किसी भी कोने में आने जाने की स्वतंत्रता (19d)
- देश की किसी भी हिस्से में रहने, बसने की स्वतंत्रता (19e)
- किसी भी प्रकार का व्यापार करने एवं संचालित करने की स्वतंत्रता (19g)
- अनुच्छेद 20 :- अपराधों के दोष-सिद्धि के संबंध में संरक्षण
- अनुच्छेद 21 :- प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण, देश के किसी भी नागरिक को उसके मर्जी का जीवन जीने का अधिकार की स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है।
- अनुच्छेद 21(a) – 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को राज्य कानून द्वारा निर्धारित निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा। जिसे 86वां संविधान संशोधन 2002 द्वारा जोड़ा गए है।
- अनुच्छेद 22 :- कुछ मामलों के गिरफ़्तारी एवं कस्टडी में संरक्षण, अतार्थ किसी भी व्यक्ति को बिना आधार एवं कारण बताये मनमाने ढंग से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right Against Exploitation)
- अनुच्छेद 23 :- मानव के अवैध व्यापार एवं बलपूर्वक मजदूरी कराने पर रोक। अतार्थ किसी भी नागरिक को खरीद फरोख्त, एवं जबरदस्ती मजदूरी नहीं करवाया जा सकता है। यह एक दंडनीय अपराध है।
- अनुच्छेद 24 :- कारखानों में बाल श्रम पर प्रतिबन्ध, अतार्थ 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चो को कारखानों, होटलों या अन्य किसी जोखिम भरे काम पर नहीं रखा जा सकता है। कानून के द्वारा यह एक दंडनीय अपराध है।
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right To Freedom of Religion)
- अनुच्छेद 25 :- अन्तःकरण की और धर्म को अबाध रूप से मानने की स्वतंत्रता, अतार्थ कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को मानने एवं उसका प्रचारित करने के लिए स्वतंत्र है।
- अनुच्छेद 26 :- धार्मिक कार्यो के प्रबंधन की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद 27 :- ये अनुच्छेद कहता है। राज्य के द्वारा किसी भी व्यक्ति को कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, अगर उसकी आय का उपयोग कोई धर्म विशेष की उन्नति या धार्मिक कार्यो के लिए किये गए खर्च के उपयोग में लाया गया हो।
- अनुच्छेद 28 :- राज्य के द्वारा चलाये जा रहे शिक्षण संस्थानों में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती। ऐसे शिक्षण संस्थानों अपने छात्रों को किसी धार्मिक कार्यो में शामिल होने या धर्मोपदेश को सुनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार (Cultural and Educational Rights)
- अनुच्छेद 29 :- अल्पसंख्यकों के भाषा, लिपि, एवं संस्कृति का संरक्षण, अतार्थ कोई भी अल्पसंख्यक समुदाय अपने भाषा, लिपि, एवं अपने संस्कृति को संरक्षित रख सकता है। राज्य के द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों में धर्म, जाती, वंश, भाषा के आधार पर सरकारी संस्थाओं में प्रवेश से नहीं रोका जायेगा।
- अनुच्छेद 30 :- ये अनुच्छेद अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने एवं उसे संचालित करने का अधिकार देता है।और राज्य अल्पसंख्यक समुदाय के द्वारा बनाये गए संस्थानों के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगी।
संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right To Constitutional Remedies)
संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अंबेडकर ने अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) को संविधान का ” ह्रदय एवं आत्मा” कहा है।
अनुच्छेद 32 :- नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार का उल्लंघन होने की स्थिति में संविधान का अनुच्छेद 32 ये सुनिश्चित करता है। एवं मौलिक अधिकार को लागु करवाने के लिए हम सभी नागरिको को न्यायालय में जाने का अधिकार देता है। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट को रिट जारी करने का अधिकार दिया गया है। जो निम्नलिखित है।
(1) बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) :- यह रिट ये सुनिश्चित करता है की किसी भी व्यक्ति को गैरकानूनी तरीके से गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता है। एवं इस स्थिति में न्यायालय ये रिट जारी करके बंदीकरण करने वाले अधिकारी को आदेश देता है एवं उससे उस व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश देता है। ताकि न्यायालय परिक्षण कर सके की गिरफ्तारी क़ानूनी दृष्टि से ठीक है या नहीं।
(2) परमादेश (Mandamus) :- यह रिट तब जारी किया जाता है। जब न्यायालय को लगे की कोई पदाधिकारी अपने पद का उपयोग किसी व्यक्ति अथवा उसके मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण कर रहा हो।
(3) प्रतिषेध (Prohibition) :- यह रिट सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट अपने निचली अदालतो के लिए जारी आदेश है। की वो अपने क्षेत्राधिकार से बाहर के केस की सुनवाई नही करने का आदेश देता है।
(4) अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) :- यह रिट न्यायालय तब जारी करती है। जब न्यायालय को लगता है। की कोई व्यक्ति ऐसे पद धारण किये हुए है एवं कोई ऐसे काम कर रहा हो, जिसके लिए वो अधिकृत नहीं है। तो न्यायालय उसे ऐसा न करने का आदेश दे सकता है।
(5) उत्प्रेषण (Certiorari) :- इस रिट के द्वारा सुप्रीम या हाई कोर्ट अपने से निचली अदालतों को आदेश देता है की उसके यहाँ लंबित पड़े मामलों को निष्पादन के लिए वरिष्ठ न्यायालय को स्थानांतरित करे।
मौलिक अधिकार से बनने वाले कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs) –
Q. मौलिक अधिकार किस देश से लिया गया है?
Ans – मौलिक अधिकार अमेरिका के संविधान से लिया गया है।
Q. मौलिक अधिकारों का संरक्षण कौन करता है?
Ans – मौलिक अधिकारों का संरक्षण सुप्रीम कोर्ट करता है।
Q. मौलिक अधिकारों का निलंबन कौन कर सकता है?
Ans – आर्टिकल 19 के द्वारा प्राप्त मूल अधिकार आपातकाल के समय आर्टिकल (358) के अनुसार निलंबित हो जाते है। एवं आर्टिकल 20 और 21 को छोड़कर राष्ट्रपति बाकि सभी मौलिक अधिकार आपातकाल के समय आर्टिकल (359) के अनुसार निलंबित कर सकता है।
Q. भारत के 6 मौलिक अधिकार क्या है?
Ans – छह मौलिक अधिकार इस प्रकार है – समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल हैं।
Q. मौलिक अधिकार संविधान के किस भाग में है।
उत्तर – मौलिक अधिकार की चर्चा भारतीय संविधान के तीसरे भाग एवं अनुच्छेद 12 से 35 तक में किया गया है।
निष्कर्ष –
तो दोस्तों, आशा करता हूँ आपको ये आर्टिकल मौलिक अधिकार क्या है और ये कितने है? (Fundamental Rights in Hindi) अच्छा और ज्ञानवर्धक लगा होगा। दोस्तों हर एक भारतीय नागरिक को हमारे संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार के बारे में जानना बहुत ही आवश्यक है।
मौलिक अधिकार आपके हक़ अधिकार की बात करता है। इसमें बहुत से ऐसे अधिकार दिए गये है जो हर एक व्यक्ति के लिए सम्मान की बात करता है। तो मैं आपसे आग्रह करूँगा की कृपया करते अपने मौलिक अधिकारों के बारे में जाने। और इस लेख को आप अपने दोस्तों के साथ-साथ सोशल मीडिया साइट्स पर भी जरूर शेयर करें किसी भी प्रकार का सवाल, सुझाव आप निचे कमेंट में पूछ सकते है धन्यवाद।
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